“वृहद् वास्तु शास्त्र” भारतीय परंपरा, विज्ञान और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। डॉ. राधाकृष्ण श्रीमाली ने इस ग्रंथ में वास्तु शास्त्र के गूढ़ सिद्धांतों को आधुनिक दृष्टिकोण से सरल भाषा में समझाया है।
पुस्तक में बताया गया है कि भूमि चयन, भवन निर्माण, दिशा ज्ञान, द्वार की स्थिति, कमरों की व्यवस्था, पूजा स्थान की स्थिति, और ऊर्जा प्रवाह किस प्रकार व्यक्ति के जीवन, स्वास्थ्य और धन-संपत्ति को प्रभावित करते हैं।
इसमें वास्तु दोषों के प्रकार और उनके समाधान, ग्रहों के प्रभाव, तथा वास्तु और ज्योतिष के आपसी संबंध पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है।
यह पुस्तक न केवल वास्तुविदों के लिए, बल्कि आम गृहस्थ, अध्यात्म प्रेमी और जीवन में संतुलन चाहने वालों के लिए भी एक मार्गदर्शक के समान है।
🌿 क्यों पढ़ें यह पुस्तक (Why Read This Book)
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यह पुस्तक वास्तु शास्त्र के संपूर्ण सिद्धांतों को वैज्ञानिक व व्यावहारिक रूप में समझाती है।
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घर, कार्यालय, या दुकान के वास्तु दोषों को सुधारने के सरल उपाय बताए गए हैं।
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जीवन में ऊर्जा संतुलन, सुख और समृद्धि लाने के रहस्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन।
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ज्योतिष और वास्तु के पारस्परिक संबंध को स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
🔮 क्या है ऐसा इस पुस्तक में (What Makes It Special)
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यह ग्रंथ वास्तु शास्त्र की मूल नींव और रहस्यमयी शक्तियों का खुलासा करता है।
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घर, मंदिर और नगर योजना के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं का संयोजन।
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इसमें प्राचीन सूत्रों और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से वास्तु को सुलभ बनाया गया है।
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लेखक ने हर अध्याय को प्रमाणिक संदर्भों और स्पष्ट व्याख्या से समृद्ध किया है।
🎯 किनके लिए सर्वश्रेष्ठ (Best For)
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वास्तु शास्त्र के विद्यार्थी और शोधार्थी
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गृह निर्माण की योजना बना रहे गृहस्थ
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वास्तु विशेषज्ञ, आर्किटेक्ट और ज्योतिषी
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अध्यात्म और ऊर्जा विज्ञान में रुचि रखने वाले साधक








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