‘अष्टावक्र गीता’ भारतीय आध्यात्मिक साहित्य की एक अद्वितीय रचना है, जिसमें राजा जनक और ऋषि अष्टावक्र के बीच संवाद के माध्यम से आत्मा, ब्रह्म और माया के रहस्यों का उद्घाटन होता है।
यह ग्रंथ अद्वैत वेदांत का गूढ़तम दर्शन प्रस्तुत करता है—जहाँ आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं है।
इस संस्करण में नंदलाल दाशोरा ने गीता के प्रत्येक श्लोक का हिंदी अनुवाद और व्याख्या सरल, सारगर्भित और भावनात्मक रूप में प्रस्तुत किया है।
रंधीर प्रकाशन, हरिद्वार द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक अध्यात्म और आत्म-साक्षात्कार के पथ पर चलने वालों के लिए अनमोल निधि है।
🌿 क्यों पढ़ें ‘अष्टावक्र गीता’?
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यह ग्रंथ अद्वैत वेदांत दर्शन का सबसे शुद्ध और निर्भीक प्रतिपादन करता है।
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राजा जनक और अष्टावक्र ऋषि के संवाद में आत्मबोध का रहस्य उजागर होता है।
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मन, अहंकार और माया के पार सत्य की अनुभूति कराता है।
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अध्यात्म और मोक्ष की खोज करने वालों के लिए यह एक शाश्वत पथदर्शक है।
🌟 मुख्य विशेषताएँ
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सरल हिंदी अनुवाद सहित संपूर्ण ‘अष्टावक्र गीता’
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अद्वैत वेदांत और आत्मज्ञान पर केंद्रित ग्रंथ
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नंदलाल दाशोरा द्वारा भावपूर्ण व्याख्या
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रंधीर प्रकाशन, हरिद्वार का प्रमाणिक संस्करण
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ध्यान, साधना और मुक्ति के मार्ग पर चलने वालों के लिए अमूल्य ग्रंथ
🙏 किनके लिए सर्वश्रेष्ठ
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अध्यात्म और वेदांत के विद्यार्थी
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आत्म-साक्षात्कार के इच्छुक साधक
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ध्यान, योग और मोक्ष के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति
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दर्शन और संस्कृति में रुचि रखने वाले पाठक
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पुस्तकालयों और आश्रमों के लिए अनिवार्य संग्रह









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