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अष्टावक्र गीता | Raja Janak aur Ashtavakra Samvad by Nandlal Dashora [Hindi]

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अष्टावक्र गीता सनातन परंपरा की एक अद्वितीय और दिव्य रचना है, जिसमें राजा जनक और ऋषि अष्टावक्र के बीच हुए संवाद के माध्यम से अद्वैत ब्रह्मज्ञान का सुस्पष्ट वर्णन मिलता है।

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अष्टावक्र गीता सनातन परंपरा की एक अद्वितीय और दिव्य रचना है, जिसमें राजा जनक और ऋषि अष्टावक्र के बीच हुए संवाद के माध्यम से अद्वैत ब्रह्मज्ञान का सुस्पष्ट वर्णन मिलता है। यह ग्रंथ आत्मा की परम शुद्धता, माया की असारता, और मोक्ष के तत्व को सीधे, निर्भय एवं प्रभावशाली शैली में प्रस्तुत करता है।

नन्दलाल दशोरा द्वारा सरल हिंदी में प्रस्तुत यह अनुवाद आम पाठकों के लिए भी इस गूढ़ ज्ञान को समझने में अत्यंत सहायक है।


🕉️ मुख्य विषय:

  • आत्मा और ब्रह्म का अद्वैत स्वरूप

  • साक्षी भाव और तटस्थता

  • माया, शरीर और मन का संबंध

  • मुक्ति की अवस्था और उसका अनुभव

  • जड़-जगत और चेतना का भेद


🌟 पुस्तक की विशेषताएँ:

  • स्पष्ट, सरस और भावनात्मक हिंदी अनुवाद

  • अद्वैत दर्शन का व्यावहारिक स्वरूप

  • आत्मबोध के लिए उत्कृष्ट मार्गदर्शक ग्रंथ

  • ध्यान, योग और मोक्ष मार्ग के साधकों हेतु आदर्श


यह पुस्तक उपयुक्त है:

📌 आत्मज्ञान के साधकों के लिए
📌 वेदांत के विद्यार्थियों हेतु
📌 जीवन रहस्यों को समझने के इच्छुक पाठकों के लिए
📌 राजा जनक व अष्टावक्र की दिव्य वार्ता में रुचि रखने वालों के लिए

Weight 450 g
Dimensions 22 × 14 × 3 cm
Binding

Paperback

Language

Hindi

Publication

Randhir Prakashan

Author

Nandlal Dashora

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