“पातंजल योगदर्शन” भारत के प्राचीनतम और सर्वाधिक प्रामाणिक योग-दर्शन ग्रंथों में से एक है, जिसकी रचना महर्षि पतंजलि ने की थी। यह ग्रंथ योग के सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं को विस्तारपूर्वक समझाता है।
गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित इस संस्करण में शामिल हैं:
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महर्षि पतंजलि कृत संस्कृत मूल सूत्र
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सूत्रों का सरल एवं सटीक हिंदी अनुवाद
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सूत्रों की गहराई से की गई व्याख्या
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चारों पाद: समाधि पाद, साधन पाद, विभूति पाद, कैवल्य पाद
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योग की आठ अंगों वाली प्रणाली (अष्टांग योग) का स्पष्ट विवरण
🌟 मुख्य विशेषताएँ:
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योग के सिद्धांत, अभ्यास और मुक्ति मार्ग का वैज्ञानिक विश्लेषण
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चित्त वृत्तियों, समाधि, ध्यान, एकाग्रता, वैराग्य आदि विषयों की विस्तृत व्याख्या
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आधुनिक योग साधकों के लिए दर्शनात्मक एवं मानसिक प्रशिक्षण का मूल स्रोत
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छात्रों, अध्येताओं, योगाचार्यों और साधकों के लिए समान रूप से उपयोगी
🙏 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
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योग को केवल आसन नहीं बल्कि जीवन शैली के रूप में समझने हेतु
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मन, बुद्धि और आत्मा की गहराई को जानने हेतु
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आध्यात्मिक उन्नति, ध्यान व समाधि के अभ्यास में सहायक
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भारतीय दर्शन की मूल जड़ों को जानने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य ग्रंथ
👤 उपयुक्त पाठक वर्ग:
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योग शिक्षक व साधक
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वेदांत और दर्शन के विद्यार्थी
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मानसिक स्वास्थ्य और ध्यान में रुचि रखने वाले
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अध्यात्मिक जिज्ञासु, शोधकर्ता व संत
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