“लाल किताब तर्मीम शुदा 1942” वह मूल ग्रंथ है, जो पं. रूपचंद जोशी द्वारा रचित लाल किताब श्रंखला में विशेष स्थान रखता है। उमेश शर्मा द्वारा संपादित यह संस्करण उन पाठकों और ज्योतिषाचार्यों के लिए अमूल्य है जो लाल किताब के शुद्ध, संशोधित और क्लासिक स्वरूप को जानना चाहते हैं।
1942 संस्करण को विशेष माना जाता है क्योंकि इसमें ग्रह दोष, भाव फल, उपाय, और लाल किताब की परंपरागत परिभाषाएं बेहद व्यवस्थित रूप से दी गई हैं। यह पुस्तक तांत्रिक और फलित ज्योतिष के समन्वय को एक सरल भाषा में प्रस्तुत करती है।
🔍 मुख्य विशेषताएँ:
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1942 के ऐतिहासिक संस्करण का संशोधित और स्पष्ट रूप
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लाल किताब के मूल सूत्र, सिद्धांत और उपायों की सटीक व्याख्या
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रहस्यमयी ज्योतिष प्रणाली को तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया है
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हर भाव, ग्रह और उनकी युति का प्रभाव सरल भाषा में बताया गया है
✅ किसे पढ़नी चाहिए और क्यों:
📌 किसे पढ़नी चाहिए:
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लाल किताब के गंभीर अध्येता, शोधकर्ता और साधक
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पारंपरिक और गूढ़ ज्योतिष विधियों में रुचि रखने वाले
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ऐसे पाठक जो जन्मकुंडली के अनुसार उपाय और दोष निवारण की खोज में हैं
📌 क्यों पढ़नी चाहिए:
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यह लाल किताब का सबसे प्रमाणिक और प्रसिद्ध संस्करण है
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ग्रहों के शुभ-अशुभ फल और उनके प्रभावशाली उपाय विस्तृत रूप में दिए गए हैं
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इस पुस्तक के अध्ययन से लाल किताब की गूढ़ प्रणाली को मौलिक रूप से समझा जा सकता है
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