“प्राचीन सामुद्रिक शास्त्र (दोनों भाग)” डॉ. प्रेम कुमार शर्मा द्वारा रचित यह ग्रंथ भारतीय ज्योतिष, हस्तरेखा विज्ञान और शरीर विज्ञान के गहन अध्ययन पर आधारित है। इसमें मानव शरीर के प्रत्येक अंग, चेहरे के लक्षण, हाव-भाव, रेखाओं, चिन्हों और उनके रहस्यमय संकेतों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
इस ग्रंथ में बताया गया है कि मानव शरीर स्वयं उसके भाग्य और स्वभाव का दर्पण होता है। शरीर के अंगों, नाखूनों, आंखों, माथे, होंठों, और चाल-ढाल के आधार पर व्यक्ति के स्वभाव, विचार, सौभाग्य और दुर्भाग्य की पहचान की जा सकती है।
दोनों खंडों में सामुद्रिक शास्त्र को वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से समझाया गया है। डॉ. शर्मा ने शास्त्रीय सिद्धांतों को आधुनिक जीवन से जोड़ते हुए इसे एक व्यवहारिक ज्ञान ग्रंथ बना दिया है। यह पुस्तक पुराणों, वेदों और पारंपरिक ज्योतिष ग्रंथों में उल्लिखित सिद्धांतों पर आधारित है।
🌟 क्यों पढ़ें यह पुस्तक:
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यह ग्रंथ मानव शरीर और चेहरे के रहस्यों को गहराई से उजागर करता है।
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हस्तरेखा और सामुद्रिक विज्ञान के माध्यम से व्यक्ति के चरित्र, भविष्य और भाग्य को जानने की कला सिखाता है।
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प्राचीन ज्ञान को आधुनिक रूप में प्रस्तुत कर इसे हर पाठक के लिए उपयोगी बनाया गया है।
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साधकों, ज्योतिषियों और समाजशास्त्रियों के लिए अमूल्य अध्ययन सामग्री।
🔮 क्या है ऐसा इस पुस्तक में:
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शरीर के प्रत्येक अंग का विस्तृत सामुद्रिक विश्लेषण।
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हस्तरेखा, अंग संकेत और मुखाकृति के आधार पर भविष्यफल निर्धारण।
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शुभ-अशुभ लक्षणों का वैज्ञानिक विवेचन।
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जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे धन, विवाह, स्वास्थ्य, सम्मान आदि पर शरीर संकेतों का प्रभाव।
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दो खंडों में विभाजित संपूर्ण अध्ययन सामग्री – सरल भाषा और व्यवहारिक दृष्टिकोण के साथ।
🙏 किनके लिए सर्वश्रेष्ठ है:
यह ग्रंथ विशेष रूप से उपयोगी है —
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ज्योतिष एवं सामुद्रिक विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए।
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हस्तरेखा और मुखाकृति विज्ञान के विशेषज्ञों के लिए।
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साधक और शोधार्थियों के लिए जो प्राचीन भारतीय विज्ञान को गहराई से समझना चाहते हैं।
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आध्यात्मिक और रहस्यवादी अध्ययन में रुचि रखने वालों के लिए।







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