“श्रीरामचरितमानस – अयोध्याकाण्ड” गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का दूसरा खंड है, जिसमें श्रीराम के जीवन की अयोध्या नगरी से वनगमन तक की घटनाएँ अत्यंत भावपूर्ण एवं शिक्षाप्रद शैली में वर्णित हैं।
गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित यह संस्करण सटीक (टिप्पणी सहित) तथा बड़े अक्षरों में है, जो वरिष्ठ नागरिकों, विद्यार्थियों, रामभक्तों और आध्यात्मिक साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसमें मूल अवधी छंदों के साथ सरलीकृत हिंदी में भावार्थ दिया गया है जिससे पाठक गूढ़ अर्थ को सहजता से समझ सके।
📚 मुख्य विषयवस्तु:
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श्रीराम का राज्याभिषेक स्थगन
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कैकेयी की दो वर माँगना
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श्रीराम का वनगमन और जनकपुर की विदाई
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भरत का त्याग, नंदीग्राम गमन
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श्रीराम की चरित्र महिमा और अयोध्या की करुण कथा
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नीति, धर्म और त्याग के अद्वितीय आदर्श
🎯 इस संस्करण की विशेषताएँ:
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बड़े अक्षरों में स्पष्ट मुद्रण – नेत्रबाधित या वृद्ध पाठकों के लिए उपयुक्त
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सटीक (टीका सहित) – प्रत्येक दोहे, चौपाई और छंद का सरल हिंदी में अर्थ
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श्रद्धालुजन, कथा वाचक और विद्यार्थियों के लिए आदर्श पाठ सामग्री
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भारतीय संस्कृति, नीति और रामभक्ति का आदर्श ग्रंथ
👤 यह पुस्तक किनके लिए है?
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वरिष्ठ नागरिक जो आसानी से बड़े अक्षरों में पढ़ना चाहते हैं
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धर्म-अध्ययन करने वाले छात्र और प्रतियोगी परीक्षा के विद्यार्थी
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कथा वाचक, रामायण प्रेमी और संस्कार केंद्र
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श्रीरामचरितमानस की गहराई से समझ चाहने वाले साधक
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