ऋग्वेद — ज्ञान और स्तुति का वेद
ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है जिसमें देवताओं की स्तुतियाँ, प्रार्थनाएँ और सूक्त शामिल हैं। इसमें अग्नि, इन्द्र, वरुण, सोम आदि देवताओं के 1,028 सूक्त और 10,000+ मंत्र वर्णित हैं। यह वेद मनुष्य, प्रकृति और ब्रह्मांड के गहन संबंधों को उजागर करता है और वैदिक ज्ञान का मूल स्रोत माना जाता है।
यजुर्वेद — यज्ञ और कर्मकांड का वेद
यजुर्वेद में यज्ञों, हवन, अनुष्ठानों और वैदिक विधियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसमें गद्य और पद्य दोनों रूपों में मंत्र हैं। यह वेद जीवन में अनुशासन, कर्तव्यपालन और धर्म पालन की मार्गदर्शिका है, तथा ‘कर्मयोग’ की भावना को स्पष्ट करता है।
सामवेद — संगीत और मंत्र-गान का वेद
सामवेद वह वेद है जिसमें मंत्रों को सुर, ताल और लय के साथ गान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमें लगभग 1,875 मंत्र हैं, और इसे भारतीय शास्त्रीय संगीत का मूल स्रोत माना जाता है। वैदिक यज्ञों में उद्गाता द्वारा गाए जाने वाले मंत्र सामवेद से ही लिए जाते हैं।
अथर्ववेद — स्वास्थ्य, शांति और जन-जीवन का वेद
अथर्ववेद दैनिक जीवन, स्वास्थ्य, सुरक्षा, औषधियों और शांति से संबंधित सूक्तों का संग्रह है। इसमें रोग उपचार, गृह-शांति, रक्षा-सूक्त, सामाजिक कल्याण और परिवारिक जीवन से जुड़े मंत्र शामिल हैं। यह वेद मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण पर केंद्रित है।
🎯 चारों वेदों का सार
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ऋग्वेद: देव-ज्ञान, प्रार्थना और वैदिक दर्शन
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यजुर्वेद: यज्ञ-विधान, कर्मकांड और कर्तव्य
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सामवेद: संगीत, स्वरों का ज्ञान और आध्यात्मिक गायन
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अथर्ववेद: स्वास्थ्य, सुरक्षा, शांति और जीवन-उपयोगी ज्ञान













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