“विश्वकर्मा प्रकाश” भारतीय संस्कृति का एक अमूल्य रत्न है, जो वास्तु शास्त्र के प्राचीन ज्ञान को आधुनिक पाठकों तक पहुँचाता है। यह ग्रंथ महर्षि अभय कात्यायन द्वारा संकलित किया गया है और इसमें बताया गया है कि घर, मंदिर, नगर और राजमहल जैसे निर्माणों में किस प्रकार ग्रह, दिशा, तत्व और ऊर्जा संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाए।
इस ग्रंथ में भूमि चयन, निर्माण दिशा, द्वार-स्थिति, गृहस्थ जीवन में वास्तु दोषों के परिणाम और उनके उपायों का विस्तार से वर्णन है।
यह पुस्तक दर्शाती है कि किस प्रकार प्राचीन भारतीय ऋषियों ने वास्तु को केवल निर्माण कला नहीं, बल्कि जीवन की समरसता और दिव्यता का विज्ञान माना है।
लेखक ने वास्तु शास्त्र को धर्म, विज्ञान और ज्योतिष के समन्वय से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठक को वास्तु के आध्यात्मिक, ऊर्जात्मक और व्यवहारिक पहलुओं की गहराई से समझ मिलती है।
📚 क्यों पढ़ें यह पुस्तक (Why Read This Book)
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वास्तु शास्त्र के मूल सिद्धांतों की गहरी समझ विकसित होती है।
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घर, मंदिर या भवन निर्माण से जुड़े व्यावहारिक नियमों का स्पष्ट विवरण।
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दिशा, भूमि, ग्रह और ऊर्जा के संतुलन का वैज्ञानिक विश्लेषण।
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भारतीय वास्तुकला और आध्यात्मिकता के संबंध को दर्शाने वाला प्राचीन ग्रंथ।
🕉️ क्या है ऐसा इस पुस्तक में (What Makes It Special)
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यह पुस्तक प्राचीन “विश्वकर्मा शास्त्र” पर आधारित है।
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इसमें स्थापत्य विद्या, वास्तु दोष, और निर्माण की विधि का विस्तारपूर्वक उल्लेख है।
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वैदिक परंपरा और व्यवहारिक ज्ञान का अद्भुत संगम।
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अध्यात्म, विज्ञान और ऊर्जा संतुलन का संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
🎯 किनके लिए सर्वश्रेष्ठ (Best For)
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वास्तु शास्त्र के विद्यार्थी और अध्येता।
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वास्तुविद्, आर्किटेक्ट और ज्योतिष के शोधकर्ता।
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गृह निर्माण की योजना बना रहे गृहस्थ।
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प्राचीन भारतीय विज्ञानों में रुचि रखने वाले साधक और अध्यात्म प्रेमी।









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