“उत्तर कालामृत” — ज्योतिष जगत का एक विशिष्ट ग्रंथ है जो “पूर्व कालामृत” की गहराइयों को आगे बढ़ाते हुए वैदिक ज्योतिष के अधिक सूक्ष्म और जटिल पहलुओं की व्याख्या करता है। इस ग्रंथ में J.H. भसीन ने जन्मकुंडली, दशा प्रणाली, भावों की सूक्ष्म विवेचना, ग्रह योग, ग्रह दोष और फलों की सटीक गणना जैसे विषयों को अत्यंत वैज्ञानिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।
यह पुस्तक न केवल ज्ञान को आगे बढ़ाती है बल्कि भविष्यवाणी की परिशुद्धता को भी अगले स्तर पर ले जाती है।
आपको यह पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए?
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यदि आपने “पूर्व कालामृत” पढ़ी है, तो यह उसकी अगली कड़ी के रूप में अत्यंत आवश्यक है।
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यह पुस्तक उन ज्योतिष के सूत्रों और तकनीकों को उजागर करती है जो आधुनिक ग्रंथों में प्रायः नहीं मिलतीं।
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इसमें कई शास्त्रीय योगों और विशेष दशा प्रभावों की गहन व्याख्या की गई है।
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ज्योतिष को व्यवसायिक स्तर पर उपयोग करने वाले व्यक्तियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
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प्रत्येक अध्याय में दिए गए वास्तविक जीवन के उदाहरण, इस पुस्तक को व्यवहारिक बनाते हैं।
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दूसरे, तीसरे और छठे भाव के रहस्यों को जिस गहराई से इसमें समझाया गया है, वह दुर्लभ है।
यह पुस्तक किसके लिए उपयोगी है?
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ज्योतिष के विद्यार्थी, जो उच्च स्तर की शिक्षा चाहते हैं
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पेशेवर ज्योतिषाचार्य, जिनके लिए कुंडली का गहन विश्लेषण आवश्यक है
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शोधकर्ता और अध्येता, जो वैदिक ज्योतिष को शास्त्र के रूप में ग्रहण करते हैं
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आध्यात्मिक साधक, जो समय, भाग्य और कर्म के रहस्यों को समझना चाहते हैं
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पूर्व कालामृत पढ़ने के पश्चात पूर्ण दृष्टिकोण पाने के इच्छुक पाठकों के लिए
मुख्य विशेषताएँ:
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भावों और ग्रहों की अंतर-क्रिया का गूढ़ विवेचन
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कालक्रम, दशा प्रणाली, और गोचर फल का तकनीकी विश्लेषण
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ग्रह दोषों का प्रभाव और उनका निवारण
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सरल हिंदी में कठिन ज्योतिषीय सिद्धांतों की प्रस्तुति
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परंपरागत और आधुनिक ज्योतिष का संतुलन
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