“माण्डूक्योपनिषद्” वेदों के बारह प्रमुख उपनिषदों में एक अत्यंत संक्षिप्त किन्तु गूढ़ उपनिषद है, जो अथर्ववेद से सम्बद्ध है। यह उपनिषद केवल 12 मन्त्रों में आत्मा के चार अवस्थाओं — जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय अवस्था — का गहन विश्लेषण करता है। इसमें ॐ (ओंकार) के रहस्य और उसके आध्यात्मिक अर्थ का अत्यंत प्रभावशाली ढंग से वर्णन है।
गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित यह संस्करण:
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संस्कृत मूल श्लोकों के साथ
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सरल हिंदी अनुवाद और अर्थ सहित
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वेदांत दर्शन, अद्वैत सिद्धांत और आत्मबोध में रुचि रखने वालों के लिए उपयोगी है
🌟 मुख्य विशेषताएँ:
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आत्मा की चार अवस्थाओं (अवस्थानात्मक विवेचन) का निरूपण
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‘ॐ’ मंत्र का दार्शनिक और आध्यात्मिक विश्लेषण
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अत्यंत संक्षिप्त किन्तु गूढ़ उपनिषद
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ध्यान, योग और मोक्ष की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक
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पोर्टेबल साइज – अध्ययन, स्वाध्याय और साधना हेतु उपयुक्त
🙏 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
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अद्वैत वेदांत को मूल रूप में समझने हेतु
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आत्मबोध और ‘मैं कौन हूँ’ के प्रश्न का उत्तर पाने हेतु
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ओंकार के आध्यात्मिक अर्थ को जानने के लिए
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मौन, ध्यान और ध्यान-शक्ति की उन्नति हेतु
👤 उपयुक्त पाठक वर्ग:
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वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले साधक
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योग एवं ध्यान के विद्यार्थी
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अध्यात्मिक पथ के साधक
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दर्शन, उपनिषद व वेद अध्ययन में रुचि रखने वाले पाठक
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