“मुंडको उपनिषद्” एक प्रसिद्ध वेदांत उपनिषद् है, जो अथर्ववेद की शाखा से सम्बद्ध है। यह उपनिषद् शौनक ऋषि और अंगिरा ऋषि के संवाद के रूप में प्रस्तुत है, जिसमें दो प्रकार के ज्ञान — परा (उच्च) और अपरा (सांसारिक) का भेद, आत्मा-ब्रह्म का स्वरूप तथा मोक्ष का मार्ग अत्यंत सुंदर ढंग से स्पष्ट किया गया है।
गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित यह संस्करण:
-
संस्कृत श्लोकों के साथ सरल हिंदी अनुवाद सहित है
-
उपनिषदों में रुचि रखने वाले साधकों, विद्यार्थियों व शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी
-
आत्मज्ञान, ब्रह्मविद्या और वेदान्त साधना के लिए मार्गदर्शक ग्रंथ
🌟 मुख्य विशेषताएँ:
-
पराविद्या और अपाराविद्या का स्पष्ट विवेचन
-
ब्रह्म की खोज, ध्यान और तप द्वारा आत्मसाक्षात्कार की विधि
-
सरल भाषा में हिंदी अनुवाद और व्याख्या
-
आत्मा, ब्रह्म, उपासना, मुक्ति जैसे गहन विषयों का समावेश
-
जेब में रखने योग्य पोर्टेबल संस्करण
🙏 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
-
वेदांत दर्शन की गहराई को समझने हेतु
-
आत्मा और ब्रह्म के स्वरूप को जानने हेतु
-
ध्यान, साधना व आत्मबोध की प्रेरणा के लिए
-
सांसारिक और आध्यात्मिक ज्ञान के भेद को समझने हेतु
👤 उपयुक्त पाठक वर्ग:
-
उपनिषद प्रेमी व साधक
-
वेदांत, योग व दर्शन शास्त्र के विद्यार्थी
-
आत्मिक ज्ञान में रुचि रखने वाले पाठक
-
ऋषि-परंपरा व वैदिक साहित्य में आस्था रखने वाले
Reviews
There are no reviews yet.