“रोगी स्वयं चिकित्सक – भाग 1” (Rogi Swayam Chikitsak) आयुर्वेद जगत का एक अनुपम ग्रंथ है, जिसे महान आयुर्वेदाचार्य वाग्भट्ट जी ने रचा था। यह पुस्तक भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आम जनता के लिए सरल, सुलभ और उपयोगी बनाने के उद्देश्य से लिखी गई थी।
इस ग्रंथ में ऐसे रोगों का उल्लेख है जिन्हें व्यक्ति स्वयं घरेलू उपचारों और आयुर्वेदिक विधियों से ठीक कर सकता है। यह पुस्तक अत्यंत लोकप्रिय है क्योंकि इसमें रोग के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार, योग, हर्बल नुस्खे, और आहार-विहार की स्पष्ट व्याख्या की गई है।
📚 मुख्य विषयवस्तु:
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सामान्य शारीरिक रोगों का घरेलू उपचार
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सिरदर्द, बुखार, अपच, खाँसी, ज्वर, अम्लपित्त, दस्त आदि के निदान
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महिलाओं और बच्चों के रोगों की विशेष जानकारी
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आहार एवं दिनचर्या संबंधी नियम
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ऋतुचर्या, रसायन चिकित्सा एवं कायाकल्प के सिद्धांत
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त्रिदोष सिद्धांत (वात, पित्त, कफ) के अनुसार निदान
🔍 इस पुस्तक की विशेषताएँ:
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संस्कृत मूल श्लोकों के साथ सटीक और सरल हिंदी अनुवाद
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रोगों की आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि से व्याख्या
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घरेलू उपयोग हेतु सुलभ एवं सस्ते आयुर्वेदिक नुस्खे
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डॉक्टर की आवश्यकता के बिना प्रारंभिक चिकित्सा की समझ
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प्राचीन शास्त्रीय स्रोतों पर आधारित उपाय
👤 किनके लिए उपयोगी है:
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आयुर्वेद में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों के लिए
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योग, प्राकृतिक चिकित्सा और घरेलू चिकित्सा के अभ्यासियों के लिए
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स्वास्थ्य रक्षकों, ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाकार्यों से जुड़े लोगों के लिए
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स्वयं व परिवार के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले व्यक्तियों के लिए
✅ प्रामाणिक स्रोत (Referenced from):
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अष्टांगहृदयम् (वाग्भट्ट द्वारा रचित)
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चरक संहिता और सुश्रुत संहिता की व्याख्याएं
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चौखम्बा, आयुर्वेद भारती जैसे प्रकाशकों के मान्य संस्करण
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