“वेदान्त-दर्शन”, जिसे उत्तरमीमांसा दर्शन भी कहा जाता है, भारतीय दर्शन के छह दर्शनों में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसका आधार है उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता, और यह आदिगुरु शंकराचार्य की अद्वैत वेदान्त परंपरा को दर्शाता है।
गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित यह संस्करण:
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संस्कृत मूल सूत्रों के साथ
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सरल, सटीक और गूढ़ हिंदी भाष्य व व्याख्या सहित
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भारतीय जीवन-दर्शन, आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान की सूक्ष्मतम व्याख्या प्रदान करता है
🌟 मुख्य विशेषताएँ:
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ब्रह्म, आत्मा, जीव, माया व मोक्ष जैसे गूढ़ विषयों की स्पष्ट व्याख्या
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शंकराचार्य, रामानुजाचार्य आदि की वेदांत परंपरा को समझने का माध्यम
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उपनिषदों व ब्रह्मसूत्रों पर आधारित विवेचन
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विद्वानों, साधकों और छात्रों के लिए आदर्श ग्रंथ
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सरल भाषा में गूढ़ विषयों की प्रस्तुति
🙏 यह पुस्तक क्यों पढ़ें?
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आत्मा और परमात्मा के संबंध को जानने हेतु
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अद्वैत वेदांत दर्शन की गहराई को समझने हेतु
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आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष मार्ग के बोध हेतु
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भारतीय तत्त्वमीमांसा व शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त करने हेतु
👤 उपयुक्त पाठक वर्ग:
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संस्कृत व दर्शन के विद्यार्थी
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वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले साधक
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धर्मशास्त्र, उपनिषद और गीता के ज्ञाता
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स्वाध्याय प्रेमी, संन्यासी, शोधार्थी
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