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ASHTAKAVARGA Paperback [Hindi]

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अप्टकवर्ग भावों एवं ग्रहों के  बलाबल  के आंकलन करने की एक अद्वितीय पध्दति है और सटीक फलित करने में सही मार्गदर्शन का काम करती है । इसका एक उदाहरण में तो जन्मपत्रिका में सुस्थित सूर्य जातक को प्रमत उंचाई की और ले जाएगा । ऐसा जातक जन्म से ही नेतृत्व करने की क्षमता वाला होगा और जीवन में वडी आसानी ने उसे सफलताये प्राप्त होगी । चूंकि नैसर्गिक राशिचक्र  में सूर्य पंचम भाव का कारक ग्रह है, पंचम भाव अर्थात पूर्व पुण्यों, सफलता एवं बौद्धिक  क्षमता का भाव, अत: जन्त्रपत्रिका में बली सूर्यं के बिना जीवन में उच्च स्तर एव सफलताओं को प्राप्त  करना संभव नहीं है । इस्री प्रकार बली चन्द्रमा जातक को आम लोगों की भलाई में रूचि  रखने वाला श्रेष्ठ मानववादी व्यक्ति बनाएगा और अपार मानसिक शान्ति प्रदान करेगा । पीडित एवं निर्बली चन्द्रमा वाले जातक के पास अच्छी सोच -विचार की क्षमता नहीं होती है और वह विषाद ग्रस्त एवं जड़मति होता है ।

अष्टकवर्ग  ही केवल ऐसी पध्दति है जो हमें ग्रहों कें बलाबल  के बारे में कहेगी और तदनुसार  खुशियों एवं सम्पनता अथवा उपद्रव  एवं दुख के समय अंतराल की बताएगी

.अष्टकवर्ग पद्धति का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह जन्मकुंडली के बलाबल की स्पष्ट तस्वीर देती है और उचित परिहार के लिए मार्गदर्शन करती है l

अप्टकवर्ग भावों एवं ग्रहों के  बलाबल  के आंकलन करने की एक अद्वितीय पध्दति है और सटीक फलित करने में सही मार्गदर्शन का काम करती है । इसका एक उदाहरण में तो जन्मपत्रिका में सुस्थित सूर्य जातक को प्रमत उंचाई की और ले जाएगा । ऐसा जातक जन्म से ही नेतृत्व करने की क्षमता वाला होगा और जीवन में वडी आसानी ने उसे सफलताये प्राप्त होगी । चूंकि नैसर्गिक राशिचक्र  में सूर्य पंचम भाव का कारक ग्रह है, पंचम भाव अर्थात पूर्व पुण्यों, सफलता एवं बौद्धिक  क्षमता का भाव, अत: जन्त्रपत्रिका में बली सूर्यं के बिना जीवन में उच्च स्तर एव सफलताओं को प्राप्त  करना संभव नहीं है । इस्री प्रकार बली चन्द्रमा जातक को आम लोगों की भलाई में रूचि  रखने वाला श्रेष्ठ मानववादी व्यक्ति बनाएगा और अपार मानसिक शान्ति प्रदान करेगा । पीडित एवं निर्बली चन्द्रमा वाले जातक के पास अच्छी सोच -विचार की क्षमता नहीं होती है और वह विषाद ग्रस्त एवं जड़मति होता है ।

अष्टकवर्ग  ही केवल ऐसी पध्दति है जो हमें ग्रहों कें बलाबल  के बारे में कहेगी और तदनुसार  खुशियों एवं सम्पनता अथवा उपद्रव  एवं दुख के समय अंतराल की बताएगी

.अष्टकवर्ग पद्धति का सबसे बड़ा योगदान यह है कि यह जन्मकुंडली के बलाबल की स्पष्ट तस्वीर देती है और उचित परिहार के लिए मार्गदर्शन करती है l

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