त्रिपुरारहस्यं भारतीय शास्त्रों में शाक्त दर्शन और अद्वैत वेदांत का एक अद्वितीय ग्रंथ है, जो जीवन के गहनतम रहस्यों को उद्घाटित करता है। यह ग्रंथ मुख्यतः तीन खण्डों में विभाजित है – ज्ञानखण्ड, माहात्म्यखण्ड और चरितखण्ड। प्रस्तुत पुस्तक ज्ञानखण्डम् पर आधारित है, जिसमें साधक को ज्ञान, आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष के मार्ग की स्पष्ट व्याख्या मिलती है।
आचार्य जगदीश मिश्र द्वारा संपादित और हिन्दी अनुवादित इस संस्करण में संस्कृत श्लोकों को सरल हिन्दी भाषा में समझाया गया है, जिससे पाठक मूल तत्वों को आत्मसात कर सके। इसमें त्रिपुरा देवी की महिमा, ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति, आत्मा और परमात्मा के अभेद तथा जीवन-मुक्ति का स्वरूप जैसी गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षाएँ शामिल हैं।
यह पुस्तक उन सभी साधकों के लिए मार्गदर्शक है जो शास्त्रीय अध्ययन, शाक्त साधना और आत्मज्ञान की खोज में हैं।
⭐ प्रमुख विशेषताएँ
-
संस्कृत मूलपाठ एवं हिन्दी अनुवाद सहित।
-
अद्वैत वेदांत और शाक्त दर्शन की गहन व्याख्या।
-
जीवन-मुक्ति, आत्मसाक्षात्कार और मोक्ष के रहस्य।
-
विद्वानों, शोधार्थियों और साधकों के लिए अनिवार्य ग्रंथ।
-
सरल हिन्दी में कठिन दार्शनिक अवधारणाओं की प्रस्तुति।
🎯 किनके लिए उपयुक्त
-
वेदांत और शाक्त दर्शन के विद्यार्थी।
-
आध्यात्मिक साधक और योगी।
-
संस्कृत साहित्य एवं शास्त्रों के शोधकर्ता।
-
जीवन-मुक्ति और आत्मज्ञान की खोज करने वाले पाठक।
Reviews
There are no reviews yet.