विज्ञान भैरव तंत्र भारतीय अध्यात्म, योग और तंत्र का अद्वितीय शास्त्र है। इसमें भगवान भैरव और देवी भैरवी के बीच हुए संवाद के माध्यम से जीवन, चेतना और परम सत्य की खोज के मार्ग बताए गए हैं।
इस ग्रंथ में कुल 112 ध्यान विधियाँ (धारणा और साधना की तकनीकें) वर्णित हैं, जिनके माध्यम से साधक आत्मबोध, समाधि और ब्रह्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है।
लेखक नन्दलाल दशोरा ने इस पुस्तक में मूल शास्त्रीय श्लोकों को सरल हिंदी भाषा में अनुवाद और व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया है, जिससे सामान्य पाठक भी गूढ़ तांत्रिक और दार्शनिक विषयों को सहजता से समझ सके।
यह ग्रंथ ध्यान, योग, तंत्र और अद्वैत दर्शन में रुचि रखने वाले साधकों के लिए एक मार्गदर्शक है। Randhir Prakashan ने इसे प्रामाणिक एवं अध्ययनयोग्य रूप में प्रकाशित किया है।
⭐ प्रमुख विशेषताएँ
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भैरव और भैरवी के संवाद के माध्यम से आत्मज्ञान का विवेचन।
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112 ध्यान एवं साधना विधियों का विस्तार।
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कश्मीर शैव दर्शन और तंत्र का गहन परिचय।
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सरल हिंदी अनुवाद और व्याख्या।
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अध्यात्म, योग और ध्यान साधना के साधकों के लिए उपयोगी।
🎯 किनके लिए उपयुक्त
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तंत्र, योग और ध्यान में रुचि रखने वाले साधक।
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कश्मीर शैव दर्शन और तांत्रिक परंपरा के विद्यार्थी।
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अध्यात्मिक जीवन और आत्मसाक्षात्कार की खोज करने वाले।
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भारतीय दर्शन और रहस्यवाद के पाठक।
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